Sunday, April 28, 2013

मोहनजोदारो के मेलूहा The Meluha of Mohenjo Daro


The english version 'The Meluha of Mohenjo Daro'  is given at the end of this article. 

 मोहनजोदारो के मेलूहा

अमीश त्रिपाठी ने 'मेलूहा के मृत्युंजय' (The Immortals of Meluha) और इसी क्रम के दो और उपन्यास लिखे हैं। दो वर्षों में, इन तीन पुस्तकों की 15 लाख प्रतियाँ बिकी हैं। यह भारत में अभी तक सबसे तेजी से बिकने वाली पुस्तक का कीर्तिमान है। अमीश के उपन्यास की पृष्ठभूमि में प्राचीन भारत के मोहनजोदारो, हड़प्पा और अन्य नगरों के जीवन का काल्पनिक चित्रण है। अमीश ने प्राचीन मोहनजोदारो क्षेत्र के निवासियों के लिए मेलूहा शब्द का प्रयोग किया है। 
मेलूहा बहुत प्राचीन शब्द है। प्राचीन सुमेर देश (आज का इराक़) के साहित्य में वर्णन है कि वे लोग मेलूहा देश से व्यापार करते थे। यूं तो कोई भी पक्की तरह नहीं कह सकता कि यह मेलूहा कौन सा देश था, कहाँ था, किन्तु अनेक विद्वानों कि राय है कि सुमेर (इराक़) देश के लोग सिंधु-सरस्वती सभ्यता को ही मेलूहा ही कहते थे।  अगर यह सच भी है तब भी यह बात उल्लेखनीय है कि शायद अमीश से पहले कभी किसी भारतीय ने अपने ही देशवासियों के लिए मेलूहा शब्द का प्रयोग नहीं किया था। 

अगर सिंधु सभ्यता का भारत ही मेलूहा था, तब भी कोई यह नहीं जानता कि सुमेर के लोग हम भारतीयों को मेलूहा क्यों कहते थे, या फिर इस शब्द का अर्थ क्या था ? अनेक अटकलें लगाई गईं है। एक अटकल यह है कि सुमेरी लोग भारत से तिल का तेल मंगाते थे, तेल को सुमेरी में एल्लू कहते है (तिल को भी दक्षिण भारत की भाषाओं में एल्लू कहते हैं); अतः एल्लू और मेलूहा की आपस में रिश्तेदारी है। लेकिन सुमेरी लोग तो भारत से तेल के अतिरिक्त और भी अनेक वस्तुएँ मंगाते थेफिर मेलूहा शब्द के उत्स में विद्वानो का जोर तेल पर ही क्योंएक यूरोपियन विद्वान तो यहाँ तक कहते है कि मेलूहा शब्द ही बाद में मलेच्छ शब्द में बदल गया। यह समझ पाना कठिन है कि सप्तसिंधु के लोग स्वयं को ही मलेच्छ कहने लगे थे!   

मुझे लगता है कि मेलूहा शब्द के उत्स का रहस्य इस बात में छिपा हो सकता है कि इराक़/ ईरान के लोग हमें सिंधु सभ्यता के बाद के काल में क्या कहते थे, या हम उन्हें क्या कहते थे? अब यह बात सभी जानते हैं कि प्राचीन काल से हम अपने को भारत कहते आए हैं। भारत नाम अनेक प्राचीन ग्रन्थों में है। किन्तु हमारे पश्चिम में सिंधु नदी के पार रहने वाले सुमेरी (इराक़ी), ईरानी, अरब हमें हिन्दू कहते थे। यूं तो वे हम सिंधु-पार के लोगों को 'सिंधु' ही कहना चाहते थे पर क्योंकि वे '' को '' बोलते थे, अतः सिंधु को हिन्दू कहते थे। उनसे भी पश्चिम में यूरोप के लोगों ने हिन्दू शब्द को ही इंदू कहा, जिससे बना इंदिया या इंडिया।  जब सिंधु-पार के  लोगों ने हम पर राज किया तो उनकी तरह हमने भी अपने को हिन्दू कहा। जब यूरोपियन हम पर राज करने आए तब हम भी उनकी तरह स्वयं को इंडियन कहने लगे। 

सिंधु-सरस्वती के मैदानों में रहने वाले लोग पश्चिम के देशों से व्यापार के लिए समुद्र मार्ग से जाते थे और इस यात्रा में सबसे पहले आने वाले पड़ोसी देश के लिए शायद 'पार्श्व' (=निकट) शब्द का प्रयोग करते होंगे। पार्श्व बिगड़ कर पार्श्व > पारशव > पारसय > पारसी > फारसी हो गया होगा।  इसी क्रम में पूर्व दिशा के लोग पूर्वी कहलाए होंगे। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोग पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोगों को आज भी पूरबिये कहलाते हैं। कल्पना कीजिये  कि अगर सुमेरी लोग हमें पूर्वी कहते हों तब यह शब्द कैसे बिगड़ा होगा: पूर्वी > पूल्वी > मूल्वी > मेल्यी > मेलही > मेलूहा ! या शायद सुमेरी लिपि की अपूर्णता के कारण ही हम लिखे हुए पूर्वी को मेलूहा पढ़ते है

आपको यह कल्पना कैसी लगी?  

The Meluha of Mohenjo Daro

Amish Tripathi’s ‘The Immortals of Meluha’ and the two other novels of his Shiva-trilogy have created history. The three books have sold 1.5 million copies in the last two years and have become the fastest selling books in the history of book publishing in India. Amish’s story is set in ancient India’s Mohenjo-daro, Harappa and other places and depicts their imaginary life. Amish has used the term Meluha for Mohenjo Daro.  Meluha is a very ancient word. According to the ancient texts of the Sumer civilisation (Iraq) they had trade ties with Meluha.
If Meluha was indeed the India of the Indus civilization, we have no idea as to why the Sumerians gave us that name. Many scholars have speculated about the meaning of Meluha. According to one theory, the Sumerians imported sesame oil from India; sesame oil, is called ELLU in Sumerian (sesame is also known as ELLU in South Indian languages); therefore ELLU and MELUHA are related words. It is difficult to understand why the Sumerians would have called us MELUHA on the basis of oil alone while they imported a very large number of articles from India. A European scholar has gone to the extent of suggesting that the word MALECHCHH used in Sanskrit for barbaric and uncouth is a variation of MELUHA. It is difficult to understand as to why the people of Sapta-Sindhu would use the word MALECHCHH  (barbarian, outcast) if it was meant to used for them!
It is well known that we, the people of India called ourselves BHARAT since time immemorial.  The name BHARAT is found in many ancient Indian texts. However, the Sumerian, the Iranians, and the Arab, all living in the west across the river Sindhu used to call us Hindu. This is because while they wanted to call us ‘Sindhu’ they called us Hindu due to their habit of pronouncing ‘s’ as ‘h’. The Europeans pronounced Hindu as Indu and that is how they called us Indu or Indian. When the people from across the Sindhu/ Indus came and ruled us, we stated calling ourselves as Hindu.  When the Europeans occupied India and started ruling us , we learned to call ourselves India.

Imagine the scenario of the Saraswati-Indus traders sailing to the west in the times of Mohenjo Daro. They might have called the people of the first / the neighbouring port by the Sanskrit word  ‘PARSHVA’ or the ‘nearby’ people. The word PARSHVA might have changed from Parshva> Parasya> Parsi> Persian/FARSI. They might have called the people living in the east of Mohenjo Daro as POORVI (Sanskrit, eastern). Even today, the people of the western Uttar Pradesh, call the people of the eastern Uttar Pradesh as POORABIA (the eastern).  Imagine the Sumerian calling the Mohenjo Daro people as POORVI. If so, the word POORVI might have transformed into MELUHA in the following way: POORVI > Pulvi> Mulvi> Melyi> Melhi> Meluha! Another possibility: they called us POORVI but due to the imperfect nature of the script they wrote POORVI as MELUHA?
How did you find this flight of imagination? 

Sunday, March 17, 2013

ख़लीफ़ा शब्द का संस्कृत समानार्थी The Sanskrit Synonym of the Word ‘Caliph’



ख़लीफ़ा अरबी भाषा का शब्द है जिसका शाब्दिक अर्थ उत्तराधिकारी या वारिस माना जाता है। किन्तु इस शब्द का प्रयोग केवल पैग़म्बर मोहम्मद के उत्तराधिकारीके लिए किया जाता है। मोहम्मद साहब के देहांत के बाद हज़रत अबु बक्र अरब के पहले ख़लीफ़ा  बने। बाद में,  बगदाद (1258 ई॰ तक) और तुर्की (1571 ई॰ से 1924 ई॰ तक) के शासक भी ख़लीफ़ा कहलाए। ख़लीफ़ा के कई अन्य अर्थ भी प्रचलित हो गए, जैसे उप-राजा, राज्यपाल, प्रतिनिधि, कार्यवाहक, प्रजापालक। कुरान मजीद में पहली बार सूरा 2/30 में अल्लाह द्वारा  ख़लीफ़ा नियुक्त करने की इच्छा का वर्णन है। इसलिए कुछ लोग ख़लीफ़ा को अल्लाह का वारिस या उत्तराधिकारी भी मानने की भूल करने लगे। भक्तों को विश्वास हैं कि अल्लाह को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त करने की आवश्यकता नहीं हो सकती क्योंकि अल्लाह की सत्ता हर समय और हर जगह है। यूं भी किसी भी मानव में अल्लाह के प्रतिनिधि होने की योग्यता का पाया जाना असंभव है। मोहम्मद साहब भी अल्लाह के केवल प्रवक्ता थे, कोई उत्तराधिकारी या प्रतिनिधि नहीं। प्रथम ख़लीफ़ा हज़रत अबु बक्र भी स्वयं को अल्लाह या पैग़म्बर  का उत्तराधिकारी या प्रतिनिधि न मान कर, केवल प्रजापालक मानते थे। अतः ख़लीफ़ा शब्द का उचित भावनात्मक अर्थ प्रजापालक ही है। इसमें पालन करने का कर्तव्य निहित है, सत्ता का अधिकार नहीं। यह इस्लाम की समता-मूलक समाज की मूल कल्पना के अनुरूप है।

लेकिन यह अरबी शब्द ख़लीफ़ा आख़िर कहाँ से आया? भाषाविद् अरबी और संस्कृत में कोई संबंध नहीं मानते।  किन्तु अगर हम संस्कृत सभी भाषाओं की जननीके सिद्धान्त  पर विचार करना चाहें तो हमें ख़लीफ़ा शब्द से मिलता-जुलता और समान अर्थ वाला शब्द संस्कृत में खोजना होगा। अगर ख़लीफ़ा शब्द का मूल रूप, अर्थ और भाव पालकरहा होगा तब तो संभव है कि पालक शब्द उच्चारण भेद से फ़ालक और फ़ालख़  बन गया होगा; और शब्द की मोतीमाला बिखर कर फिर जुड़ने से फ़ालख़  का ख़लफ़ा और उससे ख़लीफ़ा बन गया होगा।     
पालक > फ़ालक > फ़ालख़ > ख़लफ़ा > ख़लीफ़ा।

लेकिन, अगर ख़लीफ़ा शब्द को केवल वारिस के अर्थ में देखें, तब संस्कृत शब्द कुलदीपइसके अधिक निकट बैठता है:
कुलदीप > खलदीफ़ > खलजीफ > खलयीफ > ख़लीफ़ा।   
(संस्कृत में द से ज और ज से य में बदलाव के अनेक उदाहरण हैं; जैसे द्युति >ज्योति , प्रद्योत>प्रज्योत; राजा > राया  

The word Caliph is derived from the Arabic word khalifa. It literally means successor or heir. However, in practice, the word Caliph is used only for successors of the Prophet Mohammed.  Hazrat Abu Bakr became the first caliph of Arabia after the death of Prophet Mohammed. Later, the rulers of Baghdad (until 1258 AD) and Turkey (from 1571 until 1924) were also called the caliph. Some more meanings got associated with the word Caliph, e.g. viceroy, governor, representative, officiating, and guardian of the people. Allah’s wish to appoint a caliph is mentioned for the first time in the holy Koran in Sura 2/30. Therefore, some people make the mistake of believing the Caliph to be the successor to God. The faithful believe that the God doesn’t need to appoint His successor because He is present everywhere and at all times. Moreover, no human being can possess the merit to qualify as His representative or successor. Even the Prophet Mohammed was only a spokesperson rather than a successor or representative of Allah. Hazrat Abu Bakr, the first caliph, considered himself to be a guardian of the people rather than a successor or representative of Allah or the Prophet. The word ‘guardian’ conveys the most appropriate sentiment of the word Caliph as it conveys a sense of duty but not of power. This concept is in conformation with the original concept of an egalitarian society envisaged in Islam.
 Let us consider the origin of the Arabic word khalifa. The linguists don’t believe in any relationship between Arabic and Sanskrit. However, if we consider the theory that Sanskrit is the mother of all languages, we will have to search for a similar sounding Sanskrit synonym of khalipha. If the Arabic word khalipha ​was meant to convey the sense of a guardian, we may consider its Sanskrit equivalent ‘paalak’ as a potential candidate. Paalak may have mutated to phaalak and   phaalakh that may have changed to khaalaph to khalipha by change of sequence of letters.   
paalak > phaalakh > khalaph > khalipha
 However, looking at ‘khalipha’ strictly in terms of its meaning as a successor, this word is nearer to the Sanskrit word ‘kuladeep’ (literally light of the family, meaning thereby the son who is a successor).
 kuladeep > khalajeeph > khalayeeph > khalipha.
The mutation from d > j and j > y is common in Sanskrit, e.g. dyuti> jyoti, pradyot > prajyot; raja > raya.      



यह लेख भास्कर समूह की पत्रिका अहा! ज़िंदगी के अप्रैल 2005 अंक में छपे मेरे पुरस्कृत लेख का ही संवर्धित रूप है।    
This write up is based on a prize winning article by me published in the April 2005 issue of the magazine ‘AHA! ZINDAGI’ of the Dainik Bhaskar Group.